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Scholar-Journalist

Integrating AI in media 

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By Srashti Jaitly

क्या किसी ने कभी यह सोचा था कि ऐआई यानि आर्टीफीशियल इंटैलिजेंस जैसे अविश्कार द्वारा रोबोट्स की दुनिया का निर्माण होगा? एक ऐसी तकनीक बनके उठेगी जिससे हम अपने ही दोस्त की तरह बात करके प्रश्न-उत्तर का क्रिया-कलाप पूर्ण कर सकेगें, इंसानों की तरह सोचकर, दिखकर, वार्तालाप करके, अधिक गणनात्मक, यह तकनीक आज हम सब की जिंदगी में एक अहम भूमिका निभाती है। शायद ही आजकल किसी का काम ऐआई के बिना संभव हो पाता होगा।


एक उदाहरण से समझते हैं, आप मोबाइल में औनलाइन कोई भी प्रोडक्ट सर्च करते हो और कुछ देर बाद आपको उसी प्रोडक्ट के विज्ञापन हर शोशल मीडिया प्लैटफ़ोर्म पर दिखने लगते हैं, यह खुद से नहीं बल्कि ऐआई द्वारा यूज़र के डाटा का विशलेषण किया जाता है जिससे आप को हर मीडिया प्लैटफ़ोर्म पर आपकी पसंदीदा चीज़ दिखाई दे और आप उसे खरीदने के लिए सोचे। यह मार्किटिंग टैक्टिक की तरह काम करता है और यह सब ऐआई की मदद से किया जाता है।

लेकिन इसके विपरीत, अगर काम आसान हुए हैं तो मुश्किलें भी खड़ी हुई हैं। डिजिटल मीडिया के मामले में यह साल ऐआई से उभरती चुनौतियों वाला रहा, डीपफेक्स से लेकर वोइस क्लोन यानि किसी और की आवाज़ बनकर लोगों से पैसों की धोकाधड़ी की जा सकती है। इससे साइबर अपराध के रेकार्डस में वृध्दि देखी गई।

ऐआई ने मीडिया विभाग को नई तरक्की प्रदान की है। आप ऐआई न्यूज़ ऐंकर सना से तो वाकिफ़ होगें जो इंसानों की तरह न्यूज़ पड़ने और शब्दों का उचारण करने में सक्षम हैं। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या ऐआई आने वाले समय में लोगों की जॉब छीन सकता है?

न्यूज़ चैन्लस में ऐआई ऐंकर के आने से न्यूज़ ऐंकरस की जॉब चली गई? नहीं, वह अपना काम अपने ही अंदाज़ से कर रहे हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आने वाले समय में यह स्थिति सामान्य रहे। जैसे-जैसे प्रतियोगिता बड़ती जा रही है, वैसे ही हर उद्योगपति कम से कम पैसा निवेश करके बदले में अच्छे से अच्छा काम चाहता है, जहाँ उसका समय और पैसा दोनों ही कम खर्च हो। इस पर मेरी राय यह है कि चाहे तकनीक कितनी भी आगे बड़ जाए एक मशीन इंसान की भावना अपने अंदर नहीं पिरोह सकती और आने वाले समय में ऐआई रोज़गार छीने या न छीने लेकिन ऐआई का उपयोगी कई गुना योग्य होगा।

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