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परिश्रम का फल: Poem by Ashita Goel, SJMC, ASU

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इरादें सजे हैं कुछ दिल में ।
कुछ सपनों को देखा है इन आँखों ने।
उन्हें पूरा करने में लग गई हैं।
जिसे अपना बनाना चाहा है लाखों ने !

इमारत को देखा, उस तक पहुंचना है!
पत्थरों को पीछे ढकेल आगे बढ़ना है!
शीशे पे कंकर मारने से क्या मिलेगा?
अगर चाहते हो कुछ पाना,
तो उसे पाने के लिए लड़ना तो पड़ेगा !

मेहनत से करो सारी मुशिकलों को पार
खोलो विजय के हर एक द्वार
करो अपने हर एक सपने को साकार।
करो अपनी क़ाबलियत पर थोड़ा सा ऐतबार!

जाओ, चुमो उस आसमान को।
सबसे ऊपर खड़े रहकर, देखो इस जहान को!
मेहनत के बल पर बनाओं अपनी जगह,
हां, हम कुछ कर सकते हैं
दिखाओ समाज को!

Poem by:
Ashita Goel, SJMC, ASU

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