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एक कविता पूजनीय चैयरमेन सर को समर्पित: Poem by Kajal Shukla, Apeejay School, Panchsheel Park

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वर्षो तक संकट की अँधेरी रात रही
विपदा की बहुत बड़ी दीवार गिरी
मुसीबतों की किरणें फूटी
लेकिन आपने जीना न छोड़ा

राह थी मुश्किल लेकिन आपने चलना न छोड़ा
आप तो वह रौशनी बने जो अंधकार में भी चमकते रहे
आप तो वह दीपक बने जो तूफ़ान में भी जलते रहे
आप तो वह चंदा है जो आज भी खुले अस्मा में जगमगाते हैं
आप ही शिक्षा और शिक्षण शैली की सम्पूर्ण गाथा बने
आप ही तो हैं जिसने विघ्नों को पार किया
सफलता के मुकाम को हांसिल किया
और ए.पी.जे जैसा स्वर्णिंम नाम दिया


By Kajal Shukla
Class:12

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