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‘माता-पिता’: Poem by Ashita Goel, SJMC, ASU
Published
3 years agoon

शुक्रिया उस विधाता का।
जिसने वरदान दिया।
थमा दिया उन फरिश्तों को।
जिन्होंने हमें अपनालिया।
सागर से गहरी मोहब्बत से
हमको है उन्होंने सवारा
ये दो वो शक्स हैं
जिनके बिना।
हमने दो पल ना गुजारा..
उंगली का सहारा देकर
चलना है हमको सिखाया
खुद भूखा भी सोकर
हमको भरपेट खिलाया
इनके चरणों में बस्ता है स्वर्ग
जिनमे है भगवान के चरण
हमारे लिए कितने करते हैं ये त्याग
मगर हम, है फिर भी अंजान
उन बाँहों में छुपाकर हमें
बचाते हर दुख से
कभी गिरे अगर हम
तो उठाते हैं बड़े गर्व से..
सिखाते हैं हमको वो
दुनिया का ढंग
देकर हमें ढेरों खुशियां।
भर देतें हैं कई रंग